tag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post6535971781271389732..comments2022-11-22T16:09:54.827+05:30Comments on आगाज़: एक विडियो पहेलीअफ़लातूनhttp://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-2183241508090861142008-08-25T06:30:00.000+05:302008-08-25T06:30:00.000+05:30Badhya ghazal hai. Ab aapne sawal kiya hai to kuch...Badhya ghazal hai. Ab aapne sawal kiya hai to kuch jawab to dena padega<BR/><BR/>film hai Chakori aur singer hain Muzeeb AlamManish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-60012113805992258542008-08-24T13:45:00.000+05:302008-08-24T13:45:00.000+05:30पाकिस्तानी फ़िल्म चकोरी, १९६७, गायक मुजीब आलम.पाकिस्तानी फ़िल्म चकोरी, १९६७, गायक मुजीब आलम.Nachiketa Desaihttps://www.blogger.com/profile/16138997618674717139noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-82152005973048484432008-08-24T00:02:00.000+05:302008-08-24T00:02:00.000+05:30वो मेरे सामने तस्वीर बने बैठे हैं--अपने उकसाया तो...वो मेरे सामने तस्वीर बने बैठे हैं--अपने उकसाया तो गूगल सर्च करना पड़ा । क्या करते । चकोरी फिल्म का गीत है सन 1967 की फिल्म । पाकिस्तानी फिल्म है ये । मुजीब आलम और फिरदौसी बेगम ने गाया है । अलग अलग । सही है ना ।यूनुसhttps://www.blogger.com/profile/05987039597915161921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-51584497110848778632008-08-23T23:50:00.000+05:302008-08-23T23:50:00.000+05:30गाने की धुन तो ’तू मेरे सामने है, तेरी ज़ुल्फ़ें है ...गाने की धुन तो ’तू मेरे सामने है, तेरी ज़ुल्फ़ें है खुली’ के समीप है. य़ह किसी भी हिंदुस्तानी फ़िल्म का गाना नही हो सकता. परिवेश, चेहरों के सांचे, माथे पर बिंदिया लिये एक भी महिला नही, कोई भी पहचान की सूरत नही, एक्स्ट्रा में भी नही.<BR/>(क्षमा करें,हिन्दी फ़िल्मों को घोल के पी गये है)<BR/><BR/>ज़रूर पाकिस्तानी फ़िल्म की है हुज़ूर. गाने की धुन भी पचास साठ के दशक के पाक फ़िल्मों में पाये जाने वाली सी. आवाज़ कहीं कहीं जनाब मेहदी हसन साहब सी, मगर उतनी गोलाई नदारद, साथ में कई जगह आवाज़ में लर्जिश,अकारण कंपन.. खां साहब होने की गुंजाईश कम लगती है. हार गये साहाब!!दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5996539712681912556.post-31920048114230512692008-08-23T15:38:00.000+05:302008-08-23T15:38:00.000+05:30गाने के बारे में ज्यादा तो नही पता, पर इसकी धुन "म...गाने के बारे में ज्यादा तो नही पता, पर इसकी धुन "मैं निगाहें तेरे चेहरे से हटाऊँ कैसे" से मिलती है। शायद किसी राग पर आधारित है।Anonymousnoreply@blogger.com