मानसी के ब्लॉग से मालूम हुआ कि आज सचिन देव बर्मन में की पुण्य तिथि है । 'आगाज़' में प्रस्तुत है उन्हें एक विडियो श्रद्धान्जली । उनकी जीवनी का हिस्सा यू-ट्यूब प्रयोक्ता rc0972 के सौजन्य से लिया गया है । जीवनी पर आधारित दो संक्षिप्त विडियो के अलावा उनके दो प्रसिद्ध गीत प्रस्तुत हैं ।
छात्र युवा संघर्ष वाहिनी , नौजवानों की जिस जमात से आपात-काल के खत्म होते होते जुड़ा उसने 'सांस्कृतिक क्रान्ति' का महत्व समझा । भवानी बाबू ने इस जमात को कहा ' सुरा-बेसुरा ' जैसा भी हो गाओ। सो , सुरे-बेसुरे गीतों का यह चिट्ठा ।
Friday, October 31, 2008
Friday, October 24, 2008
उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ाँ - हरी ओम -राग पहाड़ी,पं. जसराज-मेरो अल्लाह मेहरबान
हरि ओम ततसत ,हरि ओम,
महामन्त्र है ,इसको जपाकर ।
वो है कौन सा मन्त्र कल्याणकारी,
तो बोले त्रिलोचन महादेव
हरि ओम ततसत हरि ओम
असुर ने जो अग्नि का अम्बा रचा था,
तो निर्दोश प्रह्लाद क्यों कर बचा था ,
यही मन्त्र लिखे थे उसकी ज़ुबाँ पर
हरि ओम ततसत हरि ओम
लगी आग लंका में हलचल मचा था,
तो घर विभीषण का क्यों कर बचा था,
यही शब्द लिखे थे उसके मकाँ पर,
हर ओम ततसत हरि ओम
Thursday, October 23, 2008
दो अनूठे गीत
पहला गीत आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी का दोगाना है । फिल्म रिलीज़ नहीं हुई । अभिनय विश्वजीत और साधना का दिख रहा है ।
दूसरा गीत १९५२ की जाल फिल्म का है , साहिर लुधियानवी के बोलों को सचिन देव बर्मन ने सुरों में ढाला है , गायिका लता मंगेशकर हैं ।
सुनिए और बताइए कि पहले इन्हें सुना था या नहीं और कैसे लगे ?
दूसरा गीत १९५२ की जाल फिल्म का है , साहिर लुधियानवी के बोलों को सचिन देव बर्मन ने सुरों में ढाला है , गायिका लता मंगेशकर हैं ।
सुनिए और बताइए कि पहले इन्हें सुना था या नहीं और कैसे लगे ?