Thursday, May 22, 2008

उडुपि हिन्दी पत्रिका और 'ऐ मेरे प्यारे वतन'

रमेश नायक कर्नाटक के उडुपि जिले के नवोदय विद्यालय में हिन्दी शिक्षक हैं और उनके छात्र गांधीजी की प्रेरणा से बनी दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा , मद्रास की धारवाड़ इकाई की परीक्षा भी देते हैं । गांधीजी के कनिष्ठ पुत्र देवदास बरसों चेन्नै में इस कार्य से जुड़े रहे ।
बहरहाल , रमेश नायक की चर्चा हम उनके हिन्दी चिट्ठे के कारण कर रहे हैं । उडुपि हिन्दी पत्रिका अप्रैल २००७ से एक चिट्ठे के रूप में शुरु हुई है । यहाँ उनके चिट्ठे पर दी गयी रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रसिद्ध कहानी 'काबुलीवाला' की कड़ी दी गयी है । पाठकों से गुजारिश है कि उनके चिट्ठे पर टीप कर उन्हें प्रोत्साहित करें ।
१९६१ में इस कहानी पर आधारित हिन्दी फिल्म बनी जिसमें बलराज साहनी , उषा किरन और सोनी मुख्य पात्र थे । संगीत सलिल चौधरी का और गीत गुलज़ार के थे । फिल्म में दो गीत मेरे अत्यन्त प्रिय हैं : बंगाल के भटियाली धुन पर - 'गंगा आए कहाँ से' । साथी अशोक पाण्डे ने इसे यहाँ प्रस्तुत किया था । स्वर हेमन्त कुमार का है ।
दूसरा गीत मन्ना डे ने गाया है । दोनों गीतों के बोल प्रस्तुत हैं :

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमनतुझ पे दिल क़ुरबान
तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरूतू ही मेरी जान
(तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबाँ को जिसपे आए तेरा नाम ) - २
सबसे प्यारी सुबह तेरीसबसे रंगीं तेरी शामतुझ पे दिल क़ुरबान ...
(माँ का दिल बनके कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तू ) - २
जितना याद आता है मुझकोउतना तड़पाता है तू तुझ पे दिल क़ुरबान ...
(छोड़ कर तेरी ज़मीं को दूर आ पहुंचे हैं हमफिर भी है ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की क़सम ) - २
हम जहाँ पैदा हुएउस जगह पे ही निकले दम
तुझ पे दिल क़ुरबान ...

गंगा आये कहाँ से, गंगा जाये कहाँ रेआये कहाँ से,
जाये कहाँ रे लहराये पानी में जैसे धूप-छाँव रेगंगा आये कहाँ से, गंगा जाये कहाँ रे
लहराये पानी में जैसे धूप-छाँव रे
रात कारी दिन उजियारा मिल गये दोनों साये
साँझ ने देखो रंग रुप्प के कैसे भेद मिटाये
लहराये पानी में जैसे धूप-छँव रे ...

काँच कोई माटी कोई रंग-बिरंगे प्याले
प्यास लगे तो एक बराबर जिस में पानी डाले
लहराये पानी में जैसे धूप-छाँव रे ...
नाम कोई बोली कोई लाखों रूप और चेहरे
खोल के देखो प्यार की आँखें सब तेरे सब मेरे
लहराये पानी में जैसे धूप-छाँव रे ...

2 comments:

  1. ’ऐ मेरे प्यारे वतन’ प्रेम धवन जी की कलम से उपजा हुआ गीत है.. काबुलीवाला में गुलज़ार साब का केवल एक गीत था ’गंगा आये कहां से’,

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  2. ’ऐ मेरे प्यारे वतन’ प्रेम धवन जी की कलम से उपजा हुआ गीत है.. काबुलीवाला में गुलज़ार साब का केवल एक गीत था ’गंगा आये कहां से’..

    हिन्दी में काबुलीवाला के बनने से पहले तपन सिन्हा इस नाम से बांग्ला में फ़िल्म बना चुके थे जिसमें छवि बिस्वास ने बलराज साहनी वाली मुख्य भूमिका निभाई थी

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